इंजीनियर एएल राजपूत द्वारा स्ंवय की फर्म के बिल लगा कर कराये फर्जी निमाण
सीईओ जनपद पंचायत मुरैना द्वारा सूचना का अधिकार के तहत जानकारी देने से इंकार
केन्द्र सरकार व राज्य सरकार द्वारा ग्राम पंचायतों के विकास को ध्यान में रखते हुये कई योजनाओं को चलाया जा रहा हैं। जिनमें से अधिकतर योजनायें पंचायतों के माध्यम से चलाई जा रही हैं। जिनमंे कई महत्वकांक्षी योजनाये अगर सही ढ़ग से पूर्ण हो तो ग्रांिमण अंचलों की दशा बदल सकती हैं।
पर ऐसा हो नहीं पर रहा हैं जिसकी एक वजह तो स्वंय शासन के अधिन कार्य कर रहें अधिकारी और कर्मचारी ही हैं। उन्हें इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता की इन योजनाओं के पूर्ण होने से न जाने कितने गरीब लोगों का भला होगा। इन कर्मचारियों द्वारा शासन की किसी भी योजना का शुरू करने से पहले से सोच लिया जाता हैं कि हमें इससे कितना फायदा होगा। अगर योजना से उन्हें कोई लाभ होगा तो यहीं लोग उसमें से धन कैसे निकालना हैं इसका तरीका पहले निकाल लेते हैं। योजना बाद में शुरू होगी।
राज्य शासन द्वारा कई कार्यो को मनरेगा के माध्यम से कराया जाता हैं। जिसमें पंचायत की मनरेगा शाखा ही उक्त कार्यों के निर्माण से जूडें सारे कार्यां को देखती हैं जिसमें मटेरियल सप्लाई से लेकर मनरेगा के तहत मजदूरी के भुगतान तक शामिल हैं। सारा खेल यही से शुरू होता हैं।
ऐसा ही एक मामला जिसमें इंजीनियर एएल राजपूत जो की जनपद पंचायत मुरैना में पदस्थ हैं और इनके अधिन कई ग्राम पंचायते आती हैं। इंजीनियर ए.एल. राजपूत द्वारा अपने पुत्र के नाम से मनीष इन्टरप्राइजेज नाम की एक फर्म को पंजीबद्ध करा लिया गया हैं। जिसके फर्जी बील केवल उन ही पंचायतों में लगते हैं जहां पर इंजीनियर एएल राजपूत पदस्थ होते हैं। इन बीलों का भूगतान भी बिना जांच पड़ताल के हो जाता हैं। इस संबंध में जब हमने इनके अंतर्गत आने बाली ग्राम पंचायतों के सरपंचों एंव सचिवों से चर्चा की तो उन्होंने नाम न छापने की शर्त पर बताया की अगर हम इंजीनियर साहब की फर्म के लगाये बिलों का विरोद्ध करते हैं तो इजीनियर साहब हमारे दुसरे कामों के बिलों को भी रूकवा देते हैं। इतना ही नहीं कुछ सरपंचों ने तो यहां तक कहा की मुख्य कार्यपालन अधिकारी से हम कई बार इनकी शिकायत कर चुके हैं पर उनके द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की जाती हैं। जिससे ऐसा प्रतित होता हैं की इजींनियर की काली कमाई में से एक बड़ा हिस्सा मुख्य कार्यपालन अधिकारी महोदय जनपद पंचायत मुरैना को भी जाता होगा। यदि सरपंचों कीे यह बात सही हैं तो इसकी जांच होनी चाहिये।
इतना ही नहीं इस बात की जानकारी लेने के लिये हमारे द्वारा जब जनपद पंचायत मुरैना में सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत आवेदन दिया गया तो मुख्य कार्यपालन अधिकारी एवं सूचना अधिकारी जनपद पंचायत मुरैना द्वारा ये कह कर मना कर दिया गया की उपरोक्त जानकारी पंचायतो से संबंधित हैं इस लिये हम इतनी पंचायतों को पत्र नहीं लिख सकते हैं इसलिये आप हर पंचायत में आवेदन देकर जानकारी मांग सकते हैं। अब यहां पर ध्यान देने वाली बात यह हैं कि पंचायती राज अधिनियम के अनुसार ग्राम पंचायतों के कार्यों की निगरानी जनपद एंव जिला पंचायत द्वारा की जाती हैं। इसलिये ग्राम पंचायत अपने यहां हुये हर कार्य की जानकारी संबंधित जनपद को भेजी जाती हैं। इसलिये मनरेगा के तहत हुये निमार्ण कार्यों के बिलो की एक प्रति जनपद पंचायत में भी रहती हैं। जिससे यह जानकारी जनपद पंचायत द्वारा आसानी से दी जा सकती थी। पर नहीं दी गई।
इतना ही नहीं ग्राम पंचायत मंे कार्य करने वाले हर वेंडर की जानकारी जनपद पंचायत की वित्त शाखा में भी होती हैं जिसे वो एक क्लिक पर उपलब्ध करा सकते हैं। पर मुख्य कार्यपालन अधिकारी व सूचना अधिकारी जनपद पंचायत मुरैना के द्वारा जानकारी न देकर गुमराह करने से तो यही प्रतित होता हैं की कहीं न कहीं सभी अधिकारियों तक इंजीनियर एएल राजपुत द्वारा भरपूर माल पहुॅंचाया जा रहा हैं
अब तो मामले की जांच होने पर ही ये पता चलेगा की और ऐसे कितने मामले अपनी जांच होने का इंतजार कर रहे हैं। इस संबंध में हमने मुख्य कार्यपालन अधिकरी जनपद पचायत मुरैना को कई बार फोन किया पर उन्होंने कोई जबाब नहीं दिया।
इनका कहना हैं “हॉं मनीष के बिल उन्हीं पंचायतों में लगे होगें जिनमें मेरी पोस्टींग है और वो लड़का हैं मेरा।” इंजीनियर एएल राजपूत जनपद पंचायत मुरैना
अबजीत सिंह तोमर
उप संपादक
9401900223