मध्यप्रदेश

प्रशासन की एक तरफा कार्यवाही से गरीब कारोबारी परेशान

मामला जिला श्योपुर की विजयपुर जनपद पंचायत का

मुरैना। एक कहावत हैं कि जो पकड़ा जाये वही चोर पर जब प्रशासन ये ठान ले की जिसे हमने पकड़ा हैं वही चोर हैं तो मामला कुछ संदिग्ध लगता हैं। यही देखने को मिल रहा हैं यही सब देखने को मिल रहा हैं श्योरपुर जिले के अन्तर्गत आने वाली जनपद पंचायत विजयपुर में। चम्बल संभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने बिना गहन जांच पड़ताल के केवल कुछ लोगों के कहने पर कुछ खास कारोबारियों को बली का बकरा बना दिया।
मामला कुछ यूं हैं कि कुछ लोगों एंव एक पत्रकार द्वारा श्योरपुर के वरिष्ठ अधिकारियों को शिकयात की गई की विजयपुर जनपद के अंतग्रत आने वाली ग्राम पंचायतों में मोहन गुप्ता, शिवजी गुप्ता, गोपेश मित्तल एंव राहुल द्वारा बिना रायल्टी जमा किये गौण खनिज जैसे रेत, मुरूम, गिट्टी, खण्डा की सप्लाय कि तथा उन के बिल प्रस्तुत कर भुगतान का आहरण कर लिया। जिस के आधार पर विजय पुर पुलिस द्वारा आईपीसी की धारा 379 के तहत मामला दर्ज कर विवेचना में लिया गया। पर इस मामले में धारा जमानती थी इस लिये कुछ खास दबाब आरोपितों पर बन नहीं रहा था। इस लिये पुलिस ने फिर से इस एफआईआर में खनिज विभाग की अनुशंसा पर खान एंव खनिज (विकास विनियम अधिनियम) 1957 की धारा 4 एंव धारा 21 का उल्लघंन मान कर एफआईआर में धारा बड़ा दी जिस से आरोपियों को गिरफ्तार किया जा सके।
इस संबंध जब हमने मामले को कुरेदा तो मामला बिल्कुल अलग ही निकल कर सामने आया जिसमें कारोबारी गोपेश मित्तल को फसाने के लिये इस सारे प्रकरण को रचा गया जिससे गोपेश मित्तल से अपनी बातों को मनवाया जा सके।
मामला कुछ यूं हैं गोपेश मित्तल ने एक भ्रष्ट शासकिय कर्मचारी आकाश अग्रवाल जो कि घाटीगांव तहसील में पदस्थ हैं जिस परफर्जी दस्तावेजों के आधार पर नौकरी हाशिल करने का आरोप लगाकर उस की शिकायत गोपेश मित्तल ने वरिष्ठ अधिकारियों को की थी इसका वाद न्यायालय में भी लगाया गया था जिसमें न्यायालय द्वारा संबंधित अधिकारियों को जांच कर वैधानिक कार्यवाही करने का आदेश दिया हैं। इस लिये आकाश अग्रवाल ने अपने संबंधों को इस्तेमाल करते हुये गोपेश मित्तल व उनके रिश्तेदारों का फसाया जिससे गोपेश मित्तल अपनी शिकायत वापस ले ले इस सब में प्रशासन ने आकाश अग्रवाल का पूर्ण सहयोग किया।
इस प्रकरण में श्योपुर जिला प्रशासन एंव विजयपुर जनपद पंचायत की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठ रहे। यदि यह मामला केवल रायल्टी चोरी का होता तो फिर कुछ खास फर्मों को की टारगेट क्यों किया गया। क्या केवल यही चार फर्में रोयल्टी की चोरी कर रही है बाकी नहीं। दूसरा जब जनदप पंचायत विजयपुर को यह ज्ञात हुआ की ये मामला रोयल्टी चोरी का हैं तो उन पंचयतो को जांच के दायरे में क्यों नहीं लाया गया जिन्होंने बिना रोयल्टी की रसीद देखे गौण खनिजों का उपयोग शासकिय निमार्ण कार्यो में किया।
प्रशासन हमें जितना दिखा रहा हैं मामला उतना भी सीधा नहीं है । शेष अगले भाग में ……………..
अबजीत सिंह तोमर उप संपादक

 

 

 

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